चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट >> कीचू केंचुआ कीचू केंचुआइन्दिरा अनन्तकृष्णन
|
0 |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
एक था कीचू केंचुआ। वह अपने माता-पिता के साथ ज़मीन के भीतर अपने छोटे-से घर में रहता था। गर्मी के दिन थे। एक दिन सुबह-सुबह कीचू अपने यर से बाहर निकला।
सुबह की ताज़ी हवा में एक लम्बी सांस लेकर कीचू ने कहा, ‘‘वाह, कितना सुन्दर दिन है। क्या कहने, मज़ा आ गया। कितनी अच्छी गन्ध है।’’
सुबह की ताज़ी हवा में एक लम्बी सांस लेकर कीचू ने कहा, ‘‘वाह, कितना सुन्दर दिन है। क्या कहने, मज़ा आ गया। कितनी अच्छी गन्ध है।’’
|
लोगों की राय
No reviews for this book